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दीपक पंत
टूटी हुई आस को
घबराई हुई स्वास को
तार तार विश्वास को
थके हारे , निराश को
क्या चाहिए ??
तू चाहिए
तेरा सहारा , तेरा आसरा चाहिए ।।