top of page
  • Twitter
  • Facebook

महाकाली चामुन्डा देवियेभ्यो नमः

महाकाली चामुन्डा देवियेभ्यो नमः

टूटी हुई आस को

घबराई हुई स्वास को

तार तार विश्वास को

थके हारे , निराश को

क्या चाहिए ??

तू चाहिए

तेरा सहारा , तेरा आसरा चाहिए ।।

 

भोर खुलती आंखों को

लड़खड़ाते कदमों को

पग पग लगती ठोकरों को

दर दर भटकने को

जलते ठिठुरते पदचिन्हों को

क्या चाहिए ??

तू चाहिए

तेरा , पथ प्रदर्शन , मार्ग दर्शन चाहिए ।।

 

तेरा सुमिरन कर शक्ति बढ़ायें 

दर पे तेरे आश्रय पायें

कर्ता स्वरूप जब कर्म सफल हो

बलिहारी तुझ पर हो जावें ।।

 

जब जब मार्ग कठिन हो जाए

हृदय भयभीत भयंकर हो जाए

यत्र तत्र जब शत्रु घेरें

छल, बल, धन का धागा फेरें

रौद्र रूप वह प्रसिद्ध तेरा

विकराल, अट्टहास, खड्ग खप्पर, वाला

साया बन मेरे साथ में आए

देख शत्रु जिसे होश गवाए ।।

 

तुझमें मेरी प्रीति बहुत है

तन मन मेरा मलिन बहुत है

अधम , कुटिल , अज्ञानी सा हूं

जो हूं, जैसा हूं, तुझसे , तेरा हूं।।

 

तेरी कृपा मैं देख रहा हूं

घूम-फिर , जो , पास खड़ा हूं

मुझसे समर्थ कई भक्त यहां , पर

मुझ पर तेरी दया बराबर ।।

 

ह्रदय प्रसन्न परस्पर हो

भक्ति , आसक्ति निरंतर हो

तुझसे विमुख कभी न हो पाएं

नित नित  तेरे ही गुण गाएं 

जप , तप , नाम सफल हो जावें 

सहज भक्ति , शरणागति पावें।।

दीपक पंत

© 2023 by Deepak & Himanshu Pant.

bottom of page