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कविता संग्रह
बदयिणी पहाड़ - बदलता पहाड़
दीपक पंत
हमौर_पहाड़_भौते_बदयी_ग्यो ।।
आमा बूबूक काखि में बैठी भेर
घुघुती बासूती खेलणी वाल पहाड़ ,
आज टायर वाली गाड़ी वाल है ग्यो ।।
हमौर पहाड़ भौते बदयी ग्यो ।।
सार गौंक स्वार बिरदारनक कुशल बात एकै फ़ोन बठे सुनणी बणीक पहाड़ ,
आज घर घर में वीडियो कॉल वाल बडी ग्यो ।।
हमौर पहाड़ भौते बदयी ग्यो ।।
हिन्द का आधार हिंदी
दीपक पंत
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